पूरी गरिमा के साथ मनाया गया हो ची मिन्ह का 132 वां जन्मदिन

रावेल पुष्प

कोलकाता । इंडो वियतनाम सॉलिडेरिटी कमेटी द्वारा नेशनल म्यूजियम के सभा कक्ष में भारत वियतनाम के कूटनीतिक संबंधों की 50 वीं वर्षगांठ तथा वियतनाम के राष्ट्रपति हो ची मिन्ह का 132 वां जन्मदिन पूरी गरिमा के साथ मनाया गया, जिसमें वियतनाम के राजदूत फाम सान चाउ विशेष रूप से मौजूद थे।

पश्चिम बंगाल माकपा के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम की अध्यक्षता तथा वियतनाम में अध्यापन कर चुके डॉ प्रभामई सामंतराय के संचालन में हुए इस गरिमामय कार्यक्रम व संगोष्ठी – हो ची मिन्ह और भारत पर अपना स्वागत वक्तव्य देती हुई कमेटी की महासचिव कुसुम जैन ने कहा कि आज भारत वियतनाम के संबंधों को सुदृढ़ करने में अहम भूमिका निभाने वाले गीतेश शर्मा जी की कमी से एक खालीपन का एहसास हो रहा है, लेकिन हमें उनके कार्यों को और गंभीरता से आगे ले जाना है।

इस मौके पर बीज वक्तव्य दे रही थीं- प्राध्यापिका डॉ तिलोत्तमा मुखर्जी, जिसमें उन्होंने भारत और वियतनाम के बीच वर्षों पुराने संबंधों पर विस्तार से चर्चा की।

कार्यक्रम के प्रारंभ में वियतनाम के राजदूत ने दीप प्रज्वलित कर अपने वक्तव्य में कहा कि भारत और वियतनाम के साथ संबंध महज व्यवसायिक या कूटनीतिक ही नहीं बल्कि दोनों देशों के बीच हृदय से हृदय का संबंध है और यह संबंध आज से 26 सौ साल पहले तब से है जब भारत से बौद्ध धर्म की रौशनी वियतनाम पहुंची थी।उन्होंने यह भी बताया कि हो ची मिन्ह के रिश्ते महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू के साथ बड़े मधुर थे और अपनी देश की स्वाधीनता के लिए भी इन नेताओं से चर्चा किया करते थे।

इस मौके पर अध्यक्षता करते हुए मो. सलीम ने कहा कि यह कोलकाता ही है यहां पर उनके नाम पर हो ची मिन्ह सरणी है और उनकी मूर्ति भी है। वियतनाम के मुक्ति संग्राम के समय इसे बंगाल का भरपूर नैतिक समर्थन तो मिला ही था उस समय यह नारा बहु प्रचलित था- आमार नाम, तोमार नाम,वियतनाम वियतनाम!

आई सी सी आर के पूर्व निदेशक गौतम दे ने अपने वक्तव्य के साथ इस बात का भी जिक्र किया कि हो ची मिन्ह 1958 में भारत आए थे तो प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उनका स्वागत एक महान क्रांतिकारी और एक महान नायक के रूप में किया था। उनकी मुलाकात उस समय चर्चित पंजाबी कवियित्री अमृता प्रीतम से भी हुई थी। उसके बाद अमृता प्रीतम ने उन पर एक लंबी कविता लिखी थी जो बाद में वियतनाम के पत्रों में भी प्रकाशित हुई थी। उन्होंने उस लम्बी कविता का एक अंश भी प्रस्तुत किया।

इसके अलावा अन्य वक्ताओं में शामिल थे- अमिताभ चक्रवर्ती और त्रिदीव चक्रवर्ती।

कार्यक्रम के अंत में सभी का धन्यवाद देते हुए प्रेम कपूर ने यह बताया कि हो ची मिन्ह का दो बार भारत आगमन तो दस्तावेजों में उपलब्ध हैं, लेकिन 1911 में वे गुप्त रूप से भारत एक रसोईये के रूप में आये थे और इस तथ्य को उद्घाटित उन्होंने स्वयं अपनी बाद की यात्रा के दौरान किया था।

इस संगोष्ठी में महत्वपूर्ण उपस्थिति में शामिल थे – सर्वश्री डॉ दो थांग हाई,उप राजदूत, मुंबई,निर्भय देव्यांश,उमा झुनझुनवाला,रावेल पुष्प, गीता दुबे,राज मिठौलिया, जरीना जरीन,श्यामल भट्टाचार्य, आरती सिंह, अशोक वर्मा, विमल शर्मा, दिनेश वडेरा, प्रदीप जीवराजका,अमलेश दासगुप्ता, अरविंद कोरी, शकुन त्रिवेदी,, शाहिद हुसैन शाहिद, शाहिद फ़रोगी तथा अन्य।

कार्यक्रम के पूर्व हो ची मिन्ह के जीवन पर जहां एक डाक्यूमेंट्री फिल्म दिखाई गई वहीं गीतेश शर्मा जी द्वारा लिखित अंग्रेजी पुस्तक ‘हो ची मिन्ह एण्ड इंडिया’ भी वितरित की गई।

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News newsdesk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.
Back to top button